लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग 39
सुभाष गार्ड को विटनेस बॉक्स में लाया गया । इस पर सरकारी वकील ने आपत्ति जताते हुए कहा "जब सुभाष के बयान करवाये जा रहे थे तब जासूस महोदय ने सुभाष से जिरह क्यों नहीं की योर ऑनर ? एक बार जिरह करने का मौका गंवा दिया तो अब उससे जिरह नहीं की जा सकती है" ।
हीरेन ने जवाब दिया "तब मेरे पास सुभाष के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी मी लॉर्ड । सरकारी वकील साहब ने गवाहों की पहले कोई सूची अदालत को नहीं दी थी और इन गवाहों को अचानक से लाकर गवाही करा दी गई थी इसलिए मैं इन गवाहों से जिरह नहीं कर पाया था । अब इनके बारे मैं मैंने जानकारी जुटा ली है कि किस तरह इन्होंने झूठी गवाही दी है इसलिए मैं अब इनसे जिरह कर अदालत के सामने सत्य उजागर करना चाहता हूं"
"परमीशन ग्रान्टेड" । और जज साहब ने सरकारी वकील का खेल खत्म कर दिया ।
हीरेन विटनेस बॉक्स के पास आकर सुभाष से पूछताछ करने लगा
"दिलशाद को जानते हो" ?
"कौन दिलशाद ? मैं किसी दिलशाद को नहीं जानता" । सुभाष ने एक झटके में मना कर दिया कि वह दिलशाद को नहीं जानता है लेकिन उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि दिलशाद का नाम सुनकर वह बुरी तरह से डर गया है । उसके भयभीत चेहरे को देखकर हीरेन ने उससे आगे पूछा
"वही दिलशाद जो अपने मौहल्ले का दादा है । जिसकी दादागिरी के कारण तुम भी उसकी चंपी करने को मजबूर हो गये थे । अब कुछ याद आया" ?
"नहीं, मुझे कुछ याद नहीं है" । कांपते हुए गार्ड सुभाष बोला
"पर दिलशाद तो कह रहा था कि वह तुम्हें बहुत अच्छी तरह जानता है । कहो तो तुम्हारी बात करा दूं दिलशाद से" ? हीरेन उस पर मानसिक दवाब बनाते हुए बोला
"मुझे कोई बात नहीं करनी है उससे"
"क्यों" ?
"बस, ऐसे ही"
"एक बार बात तो कर लो । बात करने में क्या हर्ज है" ? हीरेन ने स्पीकर ऑन करके दिलशाद को फोन लगा दिया
"हैलो, दिलशाद भाईजान"
"हैलो जासूस महोदय, कैसे हैं आप" ? उधर से आवाज आई
"मैं तो बढिया हूं । आपके मित्र सुभाष गार्ड जी यहां पर आये हुए हैं । मैं इनसे कह रहा हूं कि आप से एक बार बात कर लो पर ये मान ही नहीं रहे हैं" ।
"उस साले की इतनी हिम्मत कब से हो गई जो मुझसे बात करने के लिए मना कर रहा है ? फाड़कर रख दूंगा साले को । फोन दो उस गधे को, अभी मजा चखाता हूं" । अदालत दोनों की बातें ध्यान पूर्वक सुन रही थी ।
हीरेन ने फोन सुभाष को दे दिया तो सुभाष घबराते हुए बोला "ये झूठ बोल रहे हैं भाई जी, मैं क्यों मना करूंगा आपसे बात करने को ? आखिर हम दोनों पुराने साथी हैं ना" । सुभाष पसीने से पूरा नहा गया था ।
"अच्छा है जो तुझे अभी तक याद है नहीं तो मुझे फिर से तुझे तेरे घर आकर याद दिलाना पड़ता । और बता, तेरी कोर्ट में गवाही हो गई क्या" ?
"हां, हो गई" । सुभाष इस तरह बोल रहा था जैसे किसी शेर के सामने बकरा मिमियाता हो ।
"गवाही में तूने वही कहा था ना जो मैं तुझे बताकर आया था ? अगर ये पता चल गया कि तूने जरा सा भी इधर-उधर किया है तो मैं तेरी खाल खींच लूंगा । समझा क्या भीड़ू" ?
"जी भाई जी, वही कहा है जो आपने मुझे बताया था । जरा सा भी ऊपर नीचे नहीं किया है मैंने" । सुभाष की शक्ल देखने लायक थी । उसकी गवाही का सारा राज खुल गया था ।
इतने में सुभाष से हीरेन ने फोन ले लिया और बोला "ठीक है अमित, बहुत शानदार एक्टिंग की थी तुमने दिलशाद की । सुभाष ने तुमको दिलशाद समझ कर सब कुछ सच सच कह दिया । थैंक्यू, फिर मिलते हैं" । हीरेन ने फोन काट दिया ।
फिर हीरेन ने जज साहबकी ओर मुखातिब होते हुए कहा "योर ऑनर, दिलशाद एक नामी अपराधी है जो थानेदार मंगल सिंह के कहने से सुभाष को धमकी देकर आया था कि वह सक्षम के खिलाफ अदालत में वही गवाही दे जो मंगल सिंह चाहता है , नहीं तो वह जिन्दा नहीं बच पाएगा । सबको अपनी जान प्यारी होती है जज साहब, सुभाष ने अपनी जान बचाने के लिए ही झूठी गवाही दी थी" । फिर हीरेन सुभाष की ओर मुड़ा और उससे पूछा "क्यों सही है ना" ?
सुभाष के पास कहने को अब कुछ नहीं बचा था इसलिए वह सिर नीचे किये हुए खामोश ही खड़ा रहा । उसने मूक सहमति दे दी थी ।
अब बारी थी रुस्तम भाई की । रुस्तम भाई को विटनेस बॉक्स में बुलाया गया और हीरेन उससे पूछताछ करने लगा
"एक बात बताओ रुस्तम भाई, ये आपके आगे के दो दांत अब टूटे हैं या कुछ साल पहले ही टूट गये थे" ? रुस्तम के आगे के दो टूटे हुए दांतों को देखकर हीरेन बोला ।
"कुछ साल पहले ही टूट गए थे"
"कितने साल हो गये हैं इन्हें टूटे हुए" ?
"चार पांच साल हो गए हैं हुजूर"
"बहुत बढिया । अभी महीने दो महीने पहले ही आपके घर में कोई शादी थी क्या" ?
"जी, मेरे भतीजे की शादी थी"
"बड़ी शानदार शादी की आप लोगों ने । कहते हैं कि 56 प्रकार के व्यंजन बनाये गये थे उसमें" ?
"हुजूर, 56 प्रकार के व्यंजन तो पुराने जमाने में बनते थे । आजकल तो 256 प्रकार के बनते हैं" । रुस्तम भाई डींगें हांकते हुए बोला ।
"शादी में आपने बड़ा शानदार डांस भी किया बताया ? ये फोटोग्राफ देखो , बडे मस्त लग रहे हो इस ड्रेस में । ये आप ही हो न" ? हीरेन ने कुछ फोटोग्राफ रुस्तम भाई को दिखाते हुए कहा
"हां , मैं ही हूं" रुस्तम भाई ने फोटोग्राफ देखकर कहा ।
"एक बात तो है रुस्तम भाई, आप हंसते हुए बहुत प्यारे लगते हो । क्यों है ना" ?
इस पर रुस्तम क्या कहता , वह मुस्कुरा भर दिया । इस पर हीरेन ने जज साहब की ओर देखकर कहा
"ये फोटोग्राफ देखिए हुजूर । इनमें हंसते हुए रुस्तम भाई कितने सुंदर दिखाई दे रहे हैं क्योंकि इसमें इनके पूरे दांत दिखाई दे रहे हैं और अब इनके आगे के दो दांत टूटे हुए हैं । ये दांत दो महीने में ही टूटे हैं क्योंकि ये फोटोग्राफ रुस्तम भाई के भतीजे की शादी के हैं जो 14 मई को हुई थी । जबकि रुस्तम भाई ने अदालत में कहा था कि उनके दांत चार पांच साल पहले टूट गये थे । इससे यह सिद्ध होता है कि रुस्तम भाई अदालत में झूठ बोल रहे हैं । अब अदालत ही इनसे पूछे कि ये झूठ क्यों बोल रहे हैं" ?
हीरेन की इस बात पर जज साहब रुस्तम भाई से बहुत नाराज हुए और उससे कड़क कर बोले "ये अदालत है मिस्टर रुस्तम ! आप इसमें झूठ बोलकर अदालत , न्याय प्रक्रिया और कानून सबका अपमान कर रहे हैं । झूठ बोलने के आरोप में मैं आपको अभी जेल भिजवा सकता हूं" ।
रुस्तम भाई के लिए इतनी डोज पर्याप्त थी । वह कटघरे में खड़ा खड़ा डर से कांपने लगा । डरते डरते वह बोला
"ऐसा अनर्थ मत कीजिए जज साहब, मैं जेल जाना नहीं चाहता हूं । अदालत में मैंने झूठ बोला था कि सक्षम ने मुझसे 5 लाख रुपए उधार लिये थे । एक फर्जी रसीद भी मैंने तैयार की थी । मुझे ऐसा करने के लिए थानेदार मंगल सिंह ने कहा था" । उसके चेहरे पर जेल जाने का डर साफ दिखाई रहा था ।
"कोई कुछ भी कह देगा और तुम उसे मान लोगे ? यहां तक कि तुम किसी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ झूठी गवाही भी दे दोगे" ? जज साहब गुस्से में बोले ।
"मैं क्या करता हुजूर ! एक दिन थाने से एक सिपाही आया और मुझसे बोला कि थानेदार साहब बुला रहे हैं । इस बात को सुनकर मैं डर गया था साहब । मैंने सिपाही से पूछा कि थानेदार साहब मुझे क्यों बुला रहे हैं तो उसने कहा, उसे पता नहीं है, उन्हीं से पूछ लेना । थानेदार साहब की बात नहीं मानने की जुर्रत हम व्यापारियों में हो सकती है क्या साहब ? आपने वह कहावत तो सुनी होगी कि जल में रहकर मगर से बैर नहीं किया जा सकता है । थानेदार साहब के पास पॉवर है । वे हमें किसी भी झूठे केस में फंसाकर अंदर कर सकते हैं । मैं यही सोचकर उस सिपाही के साथ थाने में चला गया ।
वहां पर थानेदार मंगल सिंह ने मुझे सक्षम के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए कहा । मैंने इसके लिए मना कर दिया तो उन्होंने मेरे गाल पर एक ऐसा झन्नाटेदार थप्पड़ मारा कि मैं वहीं पर गिर पड़ा और मेरे आगे के दो दांत थाने में ही टूट गये । तब मैं क्या करता हुजूर ? मुझे झूठी गवाही देनी पड़ी" । रुस्तम भाई ने थानेदार मंगल सिंह की सारी पोलपट्टी खोलकर रख दी थी ।
हीरेन ने सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी का बनाया हुआ झूठ का किला पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था । उसने एक विजयी मुस्कान के साथ मीना की ओर देखा । मीना की आंखें सावन की बदली की तरह प्रेम की अजस्र बरसात कर रही थीं । मीना ने हीरेन के चांदी के पानदान से एक शरबती पान निकाला जिसे हीरेन ने हौले से अपने मुंह में सरका लिया था । शरबती पान का शरबत गले से नीचे उतरते ही पूरे बदन में जोश भर जाता है । हीरेन फिर से तरोताजा होकर अपनी बहस आगे बढ़ाते हुए कहने लगा ।
"योर ऑनर, अब तक के समस्त गवाहों और सबूतों से यह सिद्ध होता है कि थानेदार मंगल सिंह ही इस केस में मुख्य षड्यंत्र कर्ता है । उसने अनुपमा के सौन्दर्य के जाल में फंसकर ये सब साजिश रची थी । यह कहानी उस दिन से शुरू होती है जज साहब जिस दिन अनुपमा थाने में अपने पर्स के चोरी होने की रिपोर्ट लिखवाने के लिए गई थी । उसके चमचमाते हुए रूप को देखकर मंगल सिंह की आंखें चौंधिया गईं थी । थाने में रिपोर्ट ड्यूटी इंचार्ज लिखता है लेकिन वह अनुपमा को नजदीक से देखने , अपनी आंखें सेकने , उसका सानिध्य पाने और उससे बतियाने का लोभ संवरण नहीं कर सका था । उसने अपने अर्दली होशियार सिंह को बुलाकर उसे अपने चैंबर में भेजने को कहा और ड्यूटी इंचार्ज को अपने कमरे में बुलाकर उसने अपने सामने ही चोरी की रिपोर्ट लिखवा दी थी ।
तभी से मंगल सिंह के शैतान दिमाग में अनुपमा को पाने की योजना बनने लगी । इसी कारण उसने इस चोरी की जांच अपने हाथ में ले ली । उसी दिन छज्जू पनवाड़ी ने उसे फोन पर विकास के द्वारा चुराकर लाये गये एक एल्बम की जानकारी दी और यह भी बता दिया था कि वह एल्बम समीर के पास है । मंगल सिंह ने समीर को फोन कर उस एल्बम को देकर जाने के लिए बोल दिया । थानेदार के इस तरह फोन करने से समीर हैरान रह गया कि मंगल सिंह को उसकी हर गतिविधि की जानकारी कैसे है ? समीर एक नामी सुपारी किलर था जो थानेदार के खिलाफ नहीं जा सकता था । समीर उस एल्बम को उसी दिन मंगल सिंह को दे आया । उस एल्बम में अनुपमा की न्यूड पेन्टिंग्स देखकर मंगल सिंह की बांछें खिल गई । उसे अपना सपना पूरा होता हुआ दिखने लगा ।
अगले दिन वह अनुपमा के घर चोरी की जांच करने पहुंचा । उस समय अनुपमा नहा रही थी । उसे देखकर मंगल सिंह पागल सा हो गया था क्योंकि नहाने के बाद अनुपमा कमल के ताजे खिले हुए फूल की तरह लग रही थी । उसने अनुपमा के घर का मौका मुआयना किया तो उसने उसके घर की चाबी लिविंग रूम में टंगी हुई देखी । इसके बाद उसने बाथरूम में गीला पीयर्स साबुन देखा । उसने वह साबुन चुपके से उठाकर अपनी जेब में रख लिया और उसके एक साइड में अनुपमा के घर की चाबी की छाप ले ली । इसके बाद वह अक्षत के कमरे में गया और वहां रखी हुई उसके कमरे की चाबी की छाप साबुन के दूसरी तरफ ले ली । फिर उसने पीछे की खिड़की देखी जो एल्युमीनियम की थ्री टियर की बनी हुई थी । जिसे कोई भी आसानी से खोल और बंद कर सकता था । वह खिड़की इतनी बड़ी थी कि उसमें से एक आदमी आसानी से अंदर घुस सकता था ।
अनुपमा का घर देखने और उससे बात करने से उसे पता चल गया था कि उस घर में कौन कौन लोग रहते हैं । तब उसने अपने मन में एक कहानी बनाई कि अक्षत एक पेन्टर है जो पेन्टिंग्स बनाता है । उसकी कला को देखकर अनुपमा को उससे प्यार हो जाता है और धीरे धीरे दोनों नजदीक आने लगते हैं । दोनों इतने नजदीक आ जाते हैं कि एक दिन दो बदन एक हो जाते हैं ।
ये तो सब लोग जानते हैं जज साहब कि "कूलड़ी में गुड़ नहीं फूटता है" । आग लगेगी तो धुंआ उठेगा ही । और जब धुंआ उठेगा तो सबको पता चलना स्वाभाविक है । एक दिन सक्षम को इस "प्रेम कहानी" का पता चलेगा ही , यह निश्चित है । जब उसे पता चलेगा तो वह क्या करेगा ? या तो वह अनुपमा का मर्डर करेगा या अक्षत का । हो सकता है कि वह दोनों का ही मर्डर कर दे ? इस कहानी पर काम करते हुए उसने झूठे गवाह तैयार कर लिये । समीर जो कि एक सुपारी किलर था , इस काम के लिए बिल्कुल उपयुक्त था । मंगल सिंह ने अपनी योजना में यह तय किया कि समीर से वह सक्षम को मरवा देगा और आरोप अक्षत पर लगवा देगा । अनुपमा अकेली रह जाएगी तो वह उसे अपनी बना लेगा । इस प्रकार से मंगल सिंह ने फुल प्रूफ योजना तैयार कर ली ।
इसके लिए उसने समीर को सक्षम का कत्ल करने के लिए कहा । समीर ने एक बार ना नुकर किया होगा लेकिन समीर एक सुपारी किलर था इसलिए उसके समस्त राज मंगल सिंह को पता थे । मंगल सिंह ने कुछ केसों में पैसे खाकर उसे बचाया भी था । और कोई चारा ना देखकर सक्षम की हत्या करने के लिए समीर तैयार हो गया ।
मंगल सिंह ने उसे समझाया कि अनुपमा के घर के पीछे की खिड़की में ग्रिल नहीं है इसलिए वह उस खिड़की से घर के अंदर जा सकता है और फिर वह सक्षम का कत्ल कर सकता है । अक्षत को गुनहगार बताने के लिए वह खून से सने हुए कपड़ों से ही अक्षत के कमरे में जाकर चाकू उसके कमरे में रखकर आ जाए । अक्षत के कमरे में जाने के लिए मंगल सिंह ने अक्षत के कमरे की चाबी समीर को दे दी थी ।
यह मंगल सिंह और समीर का दुर्भाग्य ही था जो उसने 31 मई का दिन सक्षम को मारने के लिए चुना था । उस दिन घर पर न तो सक्षम और अनुपमा थे और न ही अक्षत था । इस बात का पता न तो मंगल सिंह को था और न ही समीर को था । समीर ने देखा कि घर की लाइट जली हुई है इसलिए उसने अपना काम करने की तैयारी कर ली थी ।
यहां पर कहानी में थोड़ा ट्विस्ट आता है योर ऑनर । आदमी जैसा सोचता है वैसा नहीं होता है । समीर को बताया गया था कि खिड़की पर लोहे की ग्रिल लगी हुई नहीं है । लेकिन वहां पर ग्रिल लगी हुई पाई गई । दरअसल सक्षम ने एक ग्रिल बनाने वाले को पहले ही आदेश दे दिया था । ग्रिल बनाने वाले आदमी ने उसी दिन यानि 31 मई को ही ग्रिल बनाकर उस खिड़की में लगा दी थी । समीर जब पीछे से उस खिड़की तक पहुंचा तो वहां पर ग्रिल देखकर वह झुंझला गया । उसने फोन पर मंगल सिंह को ग्रिल के बारे में बताया और अगले दिन अपने साथ "किट" लाकर अपने काम को अंजाम देने की बात कही लेकिन मंगल सिंह ने उसकी एक नहीं सुनी और उसी दिन वह काम करने के लिए कहा । तब समीर ने रेखा को फोन कर "किट" लाने के लिए कहा और उसे अपनी लोकेशन भेज दी । रेखा एक्टिवा से किट लेकर वहां पर आ गई और उसे समीर को देकर वापिस अपने घर आ गई ।
समीर ने स्क्रू खोलकर ग्रिल हटाई । ग्रिल हटाते समय उसकी शर्ट का सोने का बटन टूटकर वहीं गिर पड़ा जिसका ध्यान समीर को नहीं था और ग्रिल का एक स्क्रू भी वहीं पर गिर गया था । ये दोनों आइटम्स अदालत के द्वारा गठित निरीक्षण दल को मौके से बरामद हुए हैं मी लॉर्ड । इसके बाद समीर घर के अंदर घुसा । उसे एक कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें आईं । समीर खूब "खाया खेला" हुआ था इसलिए वह उन आवाजों को पहचान गया । माना कि वह एक सुपारी किलर था लेकिन सक्षम और अनुपमा को "उस अवस्था" में वह मारना नहीं चाहता था इसलिए उसने थोड़ी देर बाहर ही इंतजार किया । जब कमरे से वे आवाजें आनी बंद हो गई और बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तब समीर उस कमरे में दाखिल हुआ । जैसे ही उसने कमरे में प्रवेश किया और पलंग पर लेटे हुए व्यक्ति पर अपने चाकू से अटैक करना चाहा तब उसने उस व्यक्ति का चेहरा देखा । वहां पर सक्षम नहीं था बल्कि कोई और व्यक्ति था । मंगल सिंह ने जो फोटो उसे दिखाई थी , यह आदमी वैसा नहीं था । समीर वहां पर एक अजनबी को देखकर चौंक गया और एक सैकेंड सोच में पड़ गया । इससे सामने वाले आदमी को अपने बचाव के लिए थोड़ा समय मिल गया और वह आदमी अपने सामने मौत देखकर समीर पर पूरी ताकत से टूट पड़ा । उस समय चूंकि समीर थोड़ा असावधान था इसलिए उसके हाथ से चाकू छिटक कर जमीन पर गिर पड़ा जिसे फुर्ती से उस अजनबी आदमी ने उठा लिया और फिर दोनों गुत्थमगुत्था हो गये । वह आदमी समीर पर भारी पड़ा और उसने समीर को मार दिया । इसी बीच बाथरूम में घुसी औरत बाथरूम से बाहर निकली और वह उस दृश्य को देखकर चीख पड़ी । उन दोनों को ये उम्मीद नहीं होगी कि ऐसा भी कुछ घटित होगा । इस हादसे के बाद वे दोनों जने घबरा कर वहां से भाग खड़े हुये ।
मंगल सिंह और समीर में यह तय हुआ था कि "काम" हो जाने के पश्चात समीर उसे फोन से बताएगा कि काम हो गया है । मंगल सिंह अपने घर पर समीर के फोन का इंतजार करने लगा । काफी देर के बाद भी जब समीर का फोन नहीं आया तो मंगल सिंह ने समीर को फोन किया लेकिन वह नो रिप्लाई हो गया । इससे मंगल सिंह थोड़ा चिंतित हुआ और थोड़ी देर में अनुपमा के घर पहुंच गया ।
इसके बाद मंगल सिंह ने अनुपमा के घर की चाबी से बनवाई हुई डुप्लीकेट चाबी से घर का ताला खोला और घर के अंदर घुसा । अंधेरे में उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और सामने पड़ी समीर की लाश से टकरा कर वह उस पर ही गिर पड़ा । तब उसने घबरा कर अपने मोबाइल की टॉर्च से लाश को देखा और समीर का चेहरा देखकर वह हतप्रभ रह गया । भय के मारे वह थर थर कांपने लगा । समीर एक सुपारी किलर था । उसके मारे जाने की कल्पना मंगल सिंह नहीं कर सकता था । पर हकीकत तो हकीकत है उसे झुठलाया नहीं जा सकता है । मंगल सिंह के सामने समीर की लाश पड़ी थी और उसका चाकू भी वहीं पर पड़ा हुआ था । किसी ने समीर की हत्या कर दी थी । मंगल सिंह ने सोचा कि यह हत्या सक्षम ने ही की होगी । अब उसे डर लगा कि समीर की लाश पहचान कर पुलिस उसकी कॉल डिटेल्स से उस तक पहुंच सकती थी । इसीलिए लाश का चेहरा विकृत करना बहुत जरूरी हो गया था । उसने उसी चाकू से समीर की लाश जगह जगह से गोद दी और उसका चेहरा इतना विकृत कर दिया कि वह लाश पहचानने में नहीं आ रही थी कि वह किसकी है ?
मंगल सिंह की योजना फेल हो गई थी । समीर के मारे जाने से न तो उसे अनुपमा मिलने वाली थी और न ही पैसा । बल्कि इस केस में उसके फंसने की संभावना बन गई थी । बदली हुई परिस्थिति में उसने कुछ पल सोचा और अपनी योजना में कुछ बदलाव किये । उसे तब यह पता नहीं था कि सक्षम, अनुपमा और अक्षत कहां हैं ? तब उसने एक नई योजना बनाई और इस घटना को चोरी से जोड़ने की कोशिश की । अनुपमा के घर में एक बार पहले भी चोरी हो चुकी थी तो मंगल सिंह ने इसे वही चोर बताने के लिये घर के कपड़े और दूसरी चीजें बिखरा दीं । चोरी दिखलाने के लिए उसने अनुपमा का वार्डरोब खोलकर उसके कपड़े और दूसरा सामान इधर-उधर फेंक दिया । वार्डरोब खोलते समय उसने अनुपमा के अंगवस्त्र वहां रखे हुए देखे । उसने उनमें से एक ब्रा और एक पैंटी उठा ली और अपनी योजना के अनुसार उसने ब्रा, पैंटी और चाकू को अक्षत के कमरे में रखने के लिए समीर की जेब से चाबी निकाली और अक्षत के कमरे का ताला खोलकर वो तीनों चीजें अक्षत के कमरे में रख दीं । उसका ध्यान अक्षत के कमरे में पलंग पर बिछी बैडशीट पर गया । उस पर अक्षत और प्रिया के सेक्स के दौरान लगे धब्बे दिखाई दिए । उन धब्बों से उसकी कहानी सही साबित हो सकती थी इसलिए उसने अक्षत को फंसाने की योजना बना ली और उस धब्बे वाली बैडशीट को लाकर अनुपमा के बैड की बैडशीट से बदल दिया । इसके बाद उसने सक्षम को फंसाने के लिए उसके कपड़े निकाले और उन्हें लाश से बह रहे खून से रंग दिया । इस काम से उसके कपड़े भी खून से सन गए थे । बाद में उसने अपने कपड़े और सक्षम के कपड़े बाथरूम में धोकर सक्षम के कपड़ों को बालकनी में टंगे तार पर सुखा दिया । इसके बाद वह खिडकी की तरफ गया । वहां पर ग्रिल और किट देखकर उनको भी वहां से हटाने के लिये उसने चोर नौरंग को फोन कर दिया और खुद घर को लॉक लगाकर चला गया ।
अपने घर पहुंच कर मंगल सिंह को ध्यान आया कि समीर का मोबाइल लाना तो वह भूल ही गया था । समीर के मोबाइल में उसके राज छुपे हुए थे इसलिए वह मोबाइल लाना जरूरी था । मोबाइल लाने के लिए उस घर में एक बार फिर से जाना जरूरी हो गया था । तब उसे अनुपमा की पेन्टिंग्स के एल्बम का ध्यान आया और उसने जो कहानी तैयार कर रखी थी उसमें वह एल्बम बिल्कुल फिट बैठ रहा था । अत: वह एल्बम को साथ लेकर पुन: अनुपमा के घर आया और समीर की लाश की जेबों में मोबाइल तलाशने लगा मगर उसका मोबाइल उसे नहीं मिला । इससे मंगल सिंह बहुत घबरा गया । पर अब वह कर भी क्या सकता था ? मंगल सिंह ने अनुपमा की पेन्टिंग्स के एल्बम को अक्षत के कमरे की वार्डरोब में रख दिया और वहीं पर पड़ी एक कुर्सी पर बैठकर "नई मुसीबत" के बारे में सोचने लगा । उस कुर्सी की एक कील थोड़ी सी बाहर निकल रही थी जिसमें उसकी शर्ट अटक कर फट गई थी और शर्ट का कुछ हिस्सा उस कील में ही अटका रह गया था । अनुपमा के बैड की बैडशीट जो वहां पर पड़ी रह गई थी उसे वह अपने साथ लेकर आ गया ।
अब पिक्चर बिल्कुल साफ हो गई है मी लॉर्ड कि मंगल सिंह ही इस केस का मुख्य साजिश कर्ता था । पर कहते हैं कि होई वही जो राम रचि राखा । सक्षम को मरवाने के चक्कर में मंगल सिंह ने समीर को मरवा दिया । यहां ध्यान देने योग्य बात यह है योर ऑनर कि समीर का कत्ल मंगल सिंह ने नहीं किया था । समीर का कातिल कोई और ही था" ।
"कौन था वह कातिल" ? जज साहब ने इतनी लंबी कहानी से अधीर होकर बीच में ही पूछ लिया ।
"इसकी भी एक लंबी कहानी है मी लॉर्ड । अभी लंच टाइम हो रहा है , लंच के बाद इसे भी सिद्ध करूगा कि समीर का असली कातिल कौन है" ?
(कहानी अब क्लाइमेक्स पर पहुंच गई है । समीर का वास्तविक कातिल कौन है इसे जानने के लिए इस धारावाहिक में बने रहें)
श्री हरि
26.6.2023
Gunjan Kamal
03-Jul-2023 09:24 AM
बेहतरीन भाग
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Abhilasha Deshpande
28-Jun-2023 03:35 AM
Fantastic story sir
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Hari Shanker Goyal "Hari"
28-Jun-2023 09:13 AM
बहुत बहुत धन्यवाद मैम 🙏🙏
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Varsha_Upadhyay
27-Jun-2023 02:23 PM
बेहतरीन भाग
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Hari Shanker Goyal "Hari"
27-Jun-2023 03:01 PM
🙏🙏
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